भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
भौतिक परिवर्तन (Physical Change) -
- वह अभिक्रिया जिसके अन्तर्गत पदार्थ के भौतिक स्वरूप (रंग, रूप, अवस्था) में अस्थायी परिवर्तन होने के साथ उसकी स्थायी बनावट और भार अक्षुण्ण रहते हैं, भौतिक अभिक्रिया कहलाती है।
- इसमें नये पदार्थ़ों का निर्माण नहीं होता बल्कि विरूपक बल को हटा लेने के पश्चात् उस पदार्थ की आरम्भिक अवस्था आ जाती है।
उदाहरण -
(1) ठोस मोम का पिघलना
(2) चीनी से शर्बत का निर्माण
(3) बर्फ का बनना और पिघलना
(4) जल का वाष्पीकरण व संघनन
(5) आयोडीन तथा कैम्फर का उर्ध्वपातन
(6) बिजली के बल्ब का जलना व बुझना
(7) गंधक का पिघलना, पोटेशियम नाइट्रेट (शोरा) का पानी में विलयन
(8) पानी का मिट्टी से जड़ के रोमों तक पहुंचना (वाष्पोत्सर्जन)
रासायनिक परिवर्तन (Chemical Change) -
- ऐसी अभिक्रिया जिसमें पदार्थ़ों के गुण, मात्रा, स्वरूप व भार में भी परिवर्तन हो जाता है तथा नये पदार्थ़ों का निर्माण होता है। इसमें पदार्थ अपने पूर्व रूप में नहीं आ सकते हैं। ये अभिक्रियाएँ बहुत तीव्रगति से होती हैं।
उदाहरण -
(1) मैग्नीशियम के चमकीले तार का हवा में जलकर सफेद ठोस पदार्थ में परिवर्तन।
(2) कार्बनिक पदार्थ़ों का जलकर कार्बन डाई ऑक्साइड व कार्बन मोनोऑक्साइड देना।
(3) लोहे पर जंग लगना।
(4) दूध से दही बनना।
(5) चूने पत्थर का चूना बनना (गर्म करने पर)
(6) मर्करिक ऑक्साइड पाउडर (परमिलिन) को गर्म करना।
(7) डायनामाईट का विस्फोट होना।
ऑक्सीकरण एवं अपचयन अभिक्रियाएं (Oxidation & Reduction)
ऑक्सीकरण (Oxidation) - विद्युतऋणी परमाणु का बढ़ना या धन आवेश का बढ़ना या इलेक्ट्रॉन का त्याग ऑक्सीकरण कहलाता है। या किसी पदार्थ में ऑक्सीजन या ऋणविद्युती तत्व का समावेश या हाइड्रोजन/धनविद्युती तत्वों का निष्कासन ऑक्सीकरण कहलाता है।
\(Na\rightarrow Na^+ + e^-\)
\(Fe^{+++} \rightarrow Fe^{++} + e^-\)
ऑक्सीकरण यानी -
- H2 का निकलना
- ऑक्सीजन का जुड़ना
- ऑक्सीकरण अंक में वृद्धि
\(2I^- \rightarrow I_2 + e^-\)
\(Cu \rightarrow Cu^{+2} + 2e^-\)
अपचयन (Reduction)
विद्युत धनात्मक परमाणु या मूलकों के अनुपात का बढ़ जाना या धन आवेश का घट जाना या इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करना अपचयन या अवकरण कहलाता है। या किसी पदार्थ से ऑक्सीजन या ऋणविद्युती तत्व के निष्कासन को या हाइड्रोजन या धनविद्युती तत्व के समावेश को अपचयन कहते है।
अपचयन यानी -
- H2 का जुड़ना
- ऑक्सीजन का निकलना
- ऑक्सीकरण अंक में कमी
\(Na^+ \rightarrow Na\)
\(Mg^{2+} \rightarrow Mg^+ \rightarrow Mg\)
\(Cl \rightarrow Cl^-\)
ऑक्सीकरण एवं अपचयन अभिक्रियाओं का तुलनात्मक अध्ययन
क्र.सं.
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ऑक्सीकरण
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अपचयन
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1.
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तत्व, परमाणु अणु या आयन का इलेक्ट्रॉन त्यागना
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तत्व, परमाणु अणु या आयन का इलेक्ट्रॉन ग्रहण करना
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2.
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पदार्थ में से हाइड्रोजन की कमी
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पदार्थ में से ऑक्सीजन की कमी
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3.
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पदार्थ का ऋण विद्युती तत्व से संयोग
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पदार्थ का धन विद्युती तत्व से संयोग
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4.
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पदार्थ का ऑक्सीजन से संयोग
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पदार्थ का हाइड्रोजन से संयोग
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अपचायक (Reductor) - वे पदार्थ जो दूसरे तत्वों या यौगिकों का अपचयन करते हैं और इनका खुद का ऑक्सीकरण होता है। इलेक्ट्रॉन देने वाले अपचायक होते हैं।
उदाहरण - क्षार धातुएँ S1 व S2 वर्ग।
- वैद्युत रासायनिक श्रेणी में ऊपर स्थित धातुएँ।
- कम ऑक्सीकरण अंक वाला तत्व
ऑक्सीकारक (Oxidator) - वे पदार्थ जो दूसरे तत्वों/यौगिकों का ऑक्सीकरण करते है और इनका खुद का अपचयन होता है। इलेक्ट्रॉन लेने वाले अपचायक होते हैं।
उदाहरण - अधातु
- वैद्युत रासायनिक श्रेणी में नीचे स्थित धातुएँ
- अधिक ऑक्सीकरण अंक वाला तत्व
उदाहरण -
H3PO < H3PO2 < H3PO3 < H3PO4
-1 +1 +3 +5
अपचायक ऑक्सीकारक
H2SO2 < H2SO3 < H2SO4
MnO < MnO2 < MnO4
अपचायक उभयधर्मी ऑक्सीकारक
(क्षार) (अम्ल)
नोट - पर क्लोरिक एसिड (HClO4), सर्वाधिक स्ट्राँग एसिड (Strong Acid) है।
नोट - सल्फ्यूरिक एसिड को ‘रसायनों का राजा’ कहा जाता है।
नोट - अक्वारेजिया या अम्ल राज HCl और HNO3 के 3:1 के अनुपात मिश्रण से बनता है। यह सोना तथा प्लेटिनम पर कार्य करता है।
ऑक्सीकरण अंक (Oxidation Number)
O-2 ऑक्साइड | K2O, CaO, Al2O3, P2O5 |
O-1 पर ऑक्साइड | NaO, Na2O2, CaO2, H2O2 |
O-1/2 सुपर ऑक्साइड | (O2-1) KO2, RbO2, CsO2 |
O-1/3, O3- | औजोनॉइड KO3, RbO3, CsO3 |
O+2 | OF2 |
- कुछ महत्वपूर्ण तत्वों/यौगिकों के ऑक्सीकरण अंक
1. KMnO4
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+7
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2. K2Cr2O7
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+6
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3. H2SO4
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+6
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4. H3PO2
|
+1
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5. H3PO4
|
+5
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6. H2SO5
|
+6
|
7. H2S2O7
|
+6
|
8. H2S2O8
|
+6
|
9. CrO5
|
+6
|
10. KO
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-1
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11. OF2
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+2
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12. Na3AlF6
|
+3
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13. Mg[Co(Cl)6]
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+4
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14. K2MnO4
|
+6
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उत्प्रेरक (Catalyst) -
- वे पदार्थ जो अभिक्रिया के वेग परिवर्तित करते हैं बढ़ाकर या घटाकर तथा स्वयं अपरिवर्तित रहते हैं अर्थात् अभिक्रिया में भाग नहीं लेते।
- आजकल उत्प्रेरकों का रासायनिक उद्योगों में बहुत महत्व है। इसी प्रकार जीव रासायनिक उत्प्रेरक या एन्जाइम मनुष्य के पाचन तंत्र में अत्यधिक उपयोगी भूमिका निभाते हैं। कुछ प्रमुख उद्योगों में प्रयोग किये जाने वाले उत्पेरक व एन्जाइम निम्न हैं-
1. लोहे का चूर्ण - अमोनिया गैस बनाने की हैबर विधि में।
2. निकिल - वनस्पति तैलों से कृत्रिम घी बनाना।
3. प्लेटिनिम चूर्ण - सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने की सम्पर्क विधि में।
4. नाइट्रोजन के ऑक्साइड - सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने की सीस कक्ष विधि में।
5. गर्म एलुमिना - एल्कोहल से ईथर बनाने की विधि में।
6. क्यूप्रिक क्लोराइड - क्लोरीन गैस बनाने की डीकन विधि में।
7. पेप्सिन एन्जाइम - आमाशय में प्रोटीन को पेप्टाइड में अपघटित करने में।
8. ट्रिप्सिन एन्जाइम - पेन्क्रियाज में प्रोटीनों को अमीनो अम्ल में अपघटित करना।
9. फाइऐलिम एन्जाइम - मानव लार में स्टार्च को ग्लूकोज में परिवर्तित करना।
10. डाइस्टेस एन्जाइम - स्टार्च से माल्टोस बनाने में।
11. माइकोडर्मा ऐसिटी - गन्ने की शक्कर से सिरके का निर्माण।
12. इन्वर्टेज एन्जाइम - गन्ने की शक्कर से ग्लूकोज व फ्रक्टोज निर्माण में।
13. लैक्टिक बैसिलिस - दूध से लेक्टिक अम्ल बनाने में।
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